- दुनिया के जाने माने हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. एके अग्रवाल से दीनार टाइम्स की एक्सक्लूसिव बातचीत
अंजनी निगम, डीटीएनएन
कानपुर, प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ ए के अग्रवाल इन दिनों अमेरिकी स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एडवांस कोर्स इन रोबोटिक्स रिप्लेसमेंट कर रहे हैं। वहीं से दीनार टाइम्स से फोन पर हुई वार्ता में उन्होंने कहा आर्थराइटिस देश ही नहीं दुनिया भर में तेजी से बढ़ती शारीरिक समस्या है जिसके कारण व्यक्ति की जीवन चर्या प्रभावित होती है, अकेले अमेरिका में ही कुल जीडीपी का तीन प्रतिशत इसके कारण प्रभावित हो रहा है, लोगों को इलाज कराना पड़ रहा है या फिर आर्थराइटिस के कारण कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है। आइए जानते हैं विस्तृत वार्ता के संक्षिप्त अंश …
प्रश्न – इस बार की थीम क्या है और इसे क्यों रखा गया ?
उत्तर – इस बार की थीम “अपने सपनों को साकार करें” का आशय यही है कि हर व्यक्ति अपने कार्य कर सके और उसे एक अच्छी हेल्दी लाइफ जीने में किसी तरह की परेशानी न हो। जहां तक आर्थराइटिस को लेकर यह थीम है, इसका भी सीधा मतलब है कि अच्छी जीवन शैली, नियंत्रित और संतुलित खानपान से आप आर्थराइटिस जैसी परेशानी से दूर रहें और यदि हो गई है तो तो उसका किसी चिकित्सक से इलाज कराएं। मेडिकल साइंस में जो आधुनिक शोध हुए हैं उनका इस्तेमाल कर वे सामान्य जीवन जी सकते हैं, ऐसी दवाएं आ गयी हैं जो शरीर के उसी प्रभावित अंग पर कार्य करती हैं और शरीर के दूसरे अंगों पर उनका साइड इफेक्ट नहीं होता है।
प्रश्न – आर्थराटिस के ऐसे कौन से प्रमुख लक्षण हैं जिनसे कोई व्यक्ति जान सके कि वह रोग की गिरफ्त में आ गया है ?
उत्तर – इसके कार्य जीवन में कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है, उठने बैठने और चलने में दिक्कत होती है। सीढ़ियां चढ़ना और उतरना मुश्किल होता है और रेलिंग का सहारा लेना पड़ता है। जमीन पर बैठने या उठने में परेशानी, इंडियन टायलेट का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। घर की पहली मंजिल के बजाय प्रीफ्रेंस ग्राउंड फ्लोर के लिए होती है। सुबह उठने पर शरीर में जकड़न रहती है और कुछ देर बेड पर ही शरीर को हिलाना डुलाना पड़ता है। सामान्य जीवन जीने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
प्रश्न – आर्थराइटिस कितने प्रकार की होती है और इसका इलाज कैसे होता है ?
उत्तर – यूं तो आर्थराइटिस हजारों तरह की होती है किंतु अब डायग्नोसिस इतनी एडवांस हो गयी है कि हम उसका प्रकार आसानी से पहचान सकते हैं और उसके अनुसार इलाज कर सकते हैं। सभी तरह की आर्थराइटिस में सबसे प्रमुख है ऑस्टियो आर्थराइटिस जो औसतन 70 फीसद लोगों को होती है। यह घुटने और कूल्हे को प्रभावित करती है जबकि अन्य हाथ या अन्य जोड़ों को प्रभावित करती है। दवाओं के अलावा पीड़ित के शरीर से ब्लड से प्लाज्मा रिच प्लेटलेट (पीआरपी) निकाल कर इंजेक्शन लगाया जाता है। इससे वहां के टिश्यू की रिपेयरिंग होती है और घिसी हुई कार्टिलेज रीजेनरेट यानी फिर से जिंदा होने लगती है। इससे कुछ साल जोड़ों में दर्द रहित जीवन जी सकते हैं। यदि वह स्टेज निकल गयी हो तो नी सर्फेसिंग या फिर नी रिप्लेसमेंट करना पड़ता है। नी सर्फेसिंग को इस तरह से समझिए कि किसी दीवार के कुछ हिस्से का प्लास्टर फूल गया है तो तो उसे खरोंच कर दुरुस्त कर दिया जाता है ठीक उसी तरह से आधुनिक मशीनों से सर्फेसिंग की जाती है। इसमें व्यक्ति का ब्लड लॉस न के बराबर होता है और आधे घंटे में सर्जरी पूरी हो कर उसी दिन अस्पताल से छुट्टी हो जाती है। दो हफ्ते में मरीज अपने कार्य पहले की तरह करने लगता है। अब नी सर्फेसिंग में रोबोट का इस्तेमाल करने से रिजल्ट और भी अच्छे आने लगे हैं।
प्रश्न – बचाव के तरीके क्या होते हैं जिन्हें अपना कर इसे रोक सकते हैं ?
उत्तर – इसके लिए मैं हर सेमिनार में कहता हूं “चलो गांव की ओर” इसका मतलब है कि जीवन जीने के पुराने तरीकों की ओर जाना। शहरी लोगों के मुकाबले गांव के लोगों में सामान्य तौर पर आर्थराइटिस बहुत कम होता है क्योंकि उनकी जीवन शैली प्रकृति आधारित है। शहरी लोगों की तरह उनके जीवन में बहुत सारे आधुनिक गैजेट्स नहीं आए हैं जैसे मोबाइल, कमोड, बाइक, कार, गैस या सीएनजी पर खाना पकाना आदि। गांव के लोग अभी भी देशी टायलेट इस्तेमाल करते हैं, घर में पालथी मार कर जमीन पर बैठकर खाना खाते, मोबाइल टीवी और कमोड की आदत नहीं है। इस तरह उनके जोड़ इस्तेमाल होते रहते हैं। मोबाइल के कारण स्पॉंडलाइटिस बढ़ रही है, ऊंकड़ू न बैठने के कारण घुटनों का उपयोग कम हुआ है।
प्रश्न – खानपान का आर्थराइटिस पर कैसा और कितना प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर – खानपान का प्रभाव 200 फीसद तक पड़ता है। प्रोसेस्ड फूड सबसे अधिक नुकसानदेह है, जंक फूड भी लेना ठीक नहीं है। बाजार से सब्जी में बहुत अधिक मिर्च मसाले न डाल कर पका कर सीधे ग्रहण किया जाए, बार-बार गर्म करके खाने से भी उसके ग्रेडिएंट खत्म हो जाते हैं। फ्रिज में रखा हुआ सामान का इस्तेमाल न करें। शरीर की हड्डी तीन चीजों से मजबूत होती है, कैल्शियम, विटमिन डी और एक्सरसाइज। कैल्शियम खानपान और विटमिन डी सूर्य की किरणों से मिलता है जबकि हर व्यक्ति को दिन में कम से कम 45 मिनट व्यायाम और वॉक करना चाहिए। शहरों में न तो लोग एक्सरसाइज कर रहे हैं और सीढ़ी के स्थान पर लिफ्ट का अधिक इस्तेमाल करते हैं |
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