शिवभक्ति पर हल्का पड़ा पहलगाम आतंकी हमले का प्रभावः रघुनंदन भदौरिया
- अमरनाथ यात्रा मार्ग स्थित शिव सेवक समिति के संरक्षक और पूर्व विधायक रघुनंदन सिंह भदौरिया ने बालटाल में दीनार टाइम्स से की एक्सक्लुसिव बातचीत
अंजनी निगम, डीटीएनएन*
कानपुर , शिवसेवक समिति कानपुर के अध्यक्ष शीलू वर्मा, महामंत्री श्रोत गुप्ता, कोषाध्यक्ष नीरज पांडेय आदि के साथ श्रद्धालुओं की सेवा में डटे पूर्व विधायक रघुनंदन भदौरिया का कहना है कि पहली बार 2014 में बाबा अमरनाथ के दर्शन किए थे किंतु बीते चार सालों से संस्था के संरक्षक होने के नाते यात्रा शुरु होने के तीन दिन पहले ही यहां पर कैंप लगा कर डट जाते हैं और रक्षाबंधन वाले दिन तक कैंप के माध्यम से भक्तों की सेवा करते रहते हैं। पहले दूसरी समितियों को सामग्री भिजवाते थे किंतु सबने मिल कर तय किया कि कानपुर की समिति का रजिस्ट्रेशन कराके सेवा की जाए। बस यह निर्णय होते ही चार साल पहले समिति गठित हुई और सेवा का अनवरत सिलसिला शुरु हो गया।
प्रश्न – समिति की तरफ से शिव भक्तों की किस तरह सेवा की जा रही है ?
उत्तर – समिति के लोग पांच ट्रकों से भोजन तथा आवासीय सामग्री लेकर आए हैं और रोज 800 से एक हजार लोगों को भोजन कराया जा रहा है। चाय जलपान आदि की व्यवस्था तो दिन भर बनी रहती है। इस पूरी व्यवस्था में सबसे अच्छी बात यह है कि खाना बनाने के बर्तन से लेकर प्लेटें आदि सब कुछ इको फ्रेंडली है यानी प्लास्टिक का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं किया जा रहा है। बस कार्यकर्ता जय बाबा बर्फानी, बाबा अमरनाथ की जय का घोष करते हुए निकलने वाले श्रद्धालुओं की सेवा में जुटे हैं। बालटाल से चलते ही डोमेल नामक गांव है, यहीं पर शिविर लगा है जो लगाए गए शिविरों में पहला है। वैसे यहां से साढ़े तीन किलोमीटर की दूरी तक औसतन डेढ़ सौ भंडारे लगे हैं। हमारा शिविर आखिरी दिन तक सेवा करेगा। बाबा की गुफा के लिए शिविर से करीब साढ़े 11 किलोमीटर की यात्रा पैदल, खच्चर, या पालकी से करनी होती है।
प्रश्न – यात्रियों को सुविधा देने की क्या व्यवस्था की गयी है ?
उत्तर – संस्थान की तरफ से सात ई रिक्शा निशुल्क चल रहे हैं जो चलने में असमर्थ महिलाएं और बुजुर्ग लोगों को एक निश्चित दूरी तक पहुंचा देते हैं क्योंकि उसके बाद जीने होने के कारण वहां रिक्शे नहीं जा सकते हैं। फिर वहां से खच्चर या पालकी का साधन अपनाया जाता है। ई रिक्शा बालटाल से तीन किलोमीटर की दूरी तक ही जा पाते हैं।
प्रश्न – कानपुर से औसतन कितने श्रद्धालु रोज आ रहे हैं?
उत्तर – आपने बहुत अच्छी बात पूछी, कानपुर से आने वाले श्रद्धालु हमारे शिविर में अवश्य ही रुकते है। पहले दिन से आज तक रोज औसतन सौ से डेढ़ सौ श्रद्धालु कानपुर के होते हैं। सभी लोग यहां हम लोगों को सेवा करते देख प्रसन्नता की अनुभूति तो करते ही हैं, उत्साहवर्धन भी करते हैं कि यह बहुत अच्छी सेवा है। पहले दिन मेरे अलावा दर्शन करने वालों में कानपुर की महापौर प्रमिला पांडेय, एमएलसी अरुण पाठक, मनोज जायसवाल, विकास दुबे, श्रीकृष्ण सिंह आदि ने रहे।
प्रश्न – सरकार और स्थानीय प्रशासन की कैसी व्यवस्थाएं हैं ?
उत्तर – सरकार तो अपने स्तर पर जो कर सकती है कर ही रही है, यहां की व्यवस्थाओं का निरीक्षण और पल-पल की जानकारी लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा स्वयं कर रहे हैं। सरकार ने यात्रियों की सुविधा के लिए यात्री घर बनाया है जिसका उद्घाटन एलजी मनोज सिन्हा ने ही किया। पास में ही होने के कारण मैं भी वहां पर गया तो सिन्हा साहब ने देखते ही पहचान लिया और कुशल क्षेम पूछी। जब उन्हें शिविर लगाने की जानकारी दी तो उन्होंने आश्वस्त किया कि किसी दिन उसे देखने जरूर आएंगे।
प्रश्न – श्रद्धालुओं पर पहलगाम की घटना का कैसा प्रभाव दिख रहा है ?
उत्तर – पहलगाम में हुई 22 अप्रैल की आतंकी घटना ने उस समय तो लोगों का दिल दहला दिया था, किंतु बाबा अमरनाथ के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं के उत्साह और श्रद्धा पर उसका कोई प्रभाव नहीं है। यात्रा पर आए हर श्रद्धालु का यही कहना है कि यहां पर सब कुछ महादेव ही करने वाले हैं। महादेव ने प्रेरित किया तो उनका दर्शन करने हजारों फीट ऊंचाई पर आ गए हैं, अब वही रक्षा करेंगे फिर भगवान का जप करते हुए यदि कुछ हो भी जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता है।