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गीता जी में संसार की हर समस्या का है निदान : स्वामी ज्ञानानंद

Swami Gyananand Gita interview
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-स्वामी ज्ञानानंद जी से दीनार टाइम्स ने की एक्सक्लूसिव बातचीत

अंजनी निगम, डीटीएनएन

कानपुर , स्वामी ज्ञानानंद जी का मानना है कि गीता जी में संसार की हर समस्या का निदान छिपा है बस उसे ठीक से पढ़ने समझने और मनन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में पूरे विश्व में जिस तरह की अशांति का वातावरण बन रहा है, ऐसे में गीता और भी प्रासंगिक हो गयी है जो शांति का संदेश देती है। उन्होंने कुरुक्षेत्र, गीता जी और भगवान श्रीकृष्ण के जीवन दर्शन से संबंधित प्रसंगों पर दीनार टाइम्स के समाचार संपादक और अन्य भक्तों के साथ चर्चा की। प्रस्तुत है उनसे हुई वार्ता के प्रमुख अंश।

प्रश्न – कुरुक्षेत्र की वर्तमान में क्या स्थिति है जहां पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का संदेश दिया था ?


उत्तर – बीते दस वर्षों में कुरुक्षेत्र में काफी परिवर्तन आया है। केंद्र और प्रदेशों में जो सरकारें हैं, उनके रहते तीर्थों के प्रति एक नयी चेतना आई है जिसका अनुभव सभी कर रहे हैं। अयोध्या, काशी, महाकाल, बद्रीनाथ आदि में कॉरीडोर विकसित करने के साथ ही वहां का सुंदरीकरण हुआ है। वृंदावन में तैयारी हो रही है। उसी क्रम में कुरुक्षेत्र भी है जहां अद्भुत परिवर्तन हुआ है। गीता जयंती उत्सव पर 24 नवंबर से पहली दिसंबर तक वहां पर कार्यक्रम हैं। हरियाणा सरकार की तरफ से वहां के प्रत्येक जिले में गीता जयंती उत्सव आयोजित होता है। एक महीना पहले ही स्कूलों में प्रतियोगिताएं होने लगती हैं। इस बार के उत्सव में प्रधानमंत्री के आने की संभावना है।

प्रश्न – महाभारत युद्ध काल के ज्योतिसर के वटवृक्ष का संरक्षण कैसे किया गया ?
उत्तर – कुरुक्षेत्र में ज्योतिसर वह तीर्थ है जहां के वटवृक्ष के नीचे भगवान ने युद्ध के पूर्व अर्जुन को कर्म करने का उपदेश दिया था। वहां का वटवृक्ष युद्ध का साक्षी होने के कारण बहुत महत्वपूर्ण है। 10 साल पहले वह वृक्ष मृतप्राय सा होने लगा, जड़ें खोखली हो गयी थीं। तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहन लाल खट्टर के सामने प्रस्ताव रखा कि इस वटवृक्ष को हिस्टॉरिकल हेरिटेज के रूप में संरक्षित किया जाए। उन्होंने विशेषज्ञों को लगाया और वृक्ष सुरक्षित और संरक्षित हुआ।

प्रश्न – गीता जी के बारे में समाज में जागरूकता बढ़ी है, इसमें जीओ गीता का क्या रोल है ?
उत्तर – इस संस्था की स्थापना 2011 में की गयी जिसका पूरा नाम ग्लोबल इंस्पिरेशन एंड एनलाइटनमेंट ऑर्गनाइजेशन ऑफ भगवद्गीता (जीओ) है। जिसका मुख्य उद्देश्य भगवद्गीता के उपदेशों को बढ़ावा देना और उसे गीता ऐप के माध्यम से जन सामान्य तक पहुंचाना है। दस साल पहले एक कार्यक्रम में लोगों से पूछा गया तो मुश्किल से दो फीसद लोग ही बता सके कि गीता जी में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं किंतु अब शायद समाज में दो फीसद लोग ही ऐसे होंगे जिन्हें इस बारे में कोई जानकारी न हो।

प्रश्न – हर जगह डिजिटलीकरण हो रहा है, ऐसे में गीता की प्रासंगिकता कैसी है ?


उत्तर – स्वामी जी ने हंसते हुए कहा, डिजिटल शब्द की स्पेलिंग करें तो शुरु के दो अक्षर डी और आई हैं बाद में जीआईटीए अर्थात गीता। अब एल को शुरु के दोनों अक्षरों में जोड़ दें तो हो गया दिल यानी दिल में गीता। वास्तव में गीता ऐसा अद्भुत ग्रंथ है जिसे दिल में रखने की जरूरत है यानी हर क्षण गीता का ही ध्यान और उसके आलोक में सभी कार्य। गीता के साथ डिजिटल रहेगा तो वह पॉजिटिव, क्रिएटिव और प्रॉस्पेक्टिव भी रहेगा। इसीलिए कहता हूं डिजिटल में भी गीता भरी है इसलिए उसे अपनाओ, दिल में गीता रख कर डिजिटली आगे बढ़ोगे तो निश्चित रूप से अच्छे प्रभाव मिलेंगे, हर ओर अच्छा ही अच्छा रहेगा।

प्रश्न – पुरातात्विक स्थानों के संरक्षण के बारे क्या कहेंगे ?


उत्तर – सांस्कृतिक और पुरातात्विक स्थानों का संरक्षण तो होना ही चाहिए, यह सरकारों का दायित्व है। कुरुक्षेत्र में तो भगवान श्री कृष्ण स्वयं 18 दिनों तक अर्जुन का रथ हांकते रहे हैं, यहां की धरा बड़ी पवित्र है। सूर्यग्रहण के बाद का स्नान भी इस सरोवर में बड़ा पवित्र और फलदायी माना गया है। स्वयं भगवान ने स्नान कर इसका महत्व जनमानस को बताया। महाभारत युद्ध तो 48 कोस क्षेत्र में जहां जहां मुख्य घटनाएं घटीं, ग्रंथ के अनुसार 134 स्थान चिन्हित किए गए किंतु अब 144 स्थानों को तीर्थ रूप में विकसित करने का कार्य हो रहा है। शास्त्रों में कुरुक्षेत्र को हर युग का तीर्थ कहा गया है।

प्रश्न – आप गीता जी के प्रचार प्रसार के लिए विदेश भी जाते रहते हैं, वहां की कोई विशेष बात बताएं ?
उत्तर – इंडोनेशिया जाना हुआ जहां की एयर लाइन गरुड़ है, वहां के बाली में विश्व की चौथी बड़ी प्रतिमा है जिसमें गरुड़ के ऊपर विष्णु जी विराजमान हैं। सड़कों के नाम भी कृष्ण और युधिष्ठिर मार्ग हैं। राजभवन में राज्यपाल से भेंट के दौरान उन्होंने खड़े हो हाथ जोड़ कर ओम स्वस्ति अस्तु बोला अर्थात आपका मंगल हो और वार्ता समापन पर ओम शांति शांति शांति बोला। यह क्रम पार्लियामेंट में भी अपना जाता है जबकि वह एक मुस्लिम देश है। वहां के राज्यपाल ने बाली कुरुक्षेत्र कल्चरल हेरिटेज सेंटर बनाने का प्रस्ताव रखा है जिस पर हरियाणा के मुख्यमंत्री ने सहमति जताई ताकि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान हो सके। उन्होंने कहा मार्कण्डेय ऋषि हमारे दिलों में बसते हैं और सबसे अधिक लगाव कुरुक्षेत्र के प्रति है

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