- रिटायर्ड ब्रिगेडियर सुनील चोपड़ा से दीनार टाइम्स से 16 दिसंबर 1971 के ऐतिहासिक पलों को लेकर की विशेष बातचीत
अंजनी निगम, डीटीएनएन
कानपुर, 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच 3 दिसंबर से शुरु हुआ युद्ध पाकिस्तान की तरफ से 16 दिसंबर को आत्मसमर्पण के बाद समाप्त हुआ था जिसके परिणाम स्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ लेकिन बांग्लादेश अब फिर से कट्टरपंथियों के हाथ में चला गया है।
इस युद्ध को बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का नाम दिया गया जिसमें भारत ने शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व वाली मुक्ति वाहिनी का साथ दिया। इस युद्ध में भारत के करीब तीन हजार सैनिक शहीद और करीब 10 हजार घायल हुए थे जबकि पाकिस्तान के करीब आठ हजार सैनिक मारे गए और 25 हजार से अधिक घायल हुए।
भारत ने 93 हजार से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी भी बनाया। इस युद्ध की स्मृतियों को संजोए हैं कालपी (जालौन) के मूल निवासी, कानपुर में पढ़े और बड़े होकर भारतीय सेना में सैनिक के रूप में भर्ती होकर ब्रिगेडियर के रैंक से रिटायर होने वाले ब्रिगेडियर सुनील चोपड़ा। प्रस्तुत है ब्रिगेडियर चोपड़ा से युद्ध और बांग्लादेश की वर्तमान स्थितियों पर वार्ता।