कानपुर

501 कुण्डीय महायज्ञ द्वारा सनातन धर्म रक्षा और विश्व कल्याण की कामना-डीटीएनएन

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A 501 Kundiya Mahayagya was held in Kanpur for the protection of Sanatan Dharma and world welfare. The event honored revolutionaries, promoted social unity, and highlighted Maharishi Dayanand Saraswati’s contributions. Read more!

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मोतीझील ग्राउण्ड में सनातन धर्म रक्षा तथा विश्व कल्याण की कामना तथा भारत के वीर क्रान्तिकारियों तथा उनके प्रेरणा स्त्रोत महर्षि दयानन्द सरस्वती को याद करते हुए 501 यज्ञ कुण्डों में आहूति प्रदान की गयी।

जिसमें सनातन धर्म की सभी शाखायें हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, आर्य समाज, गायत्री परिवार आदि सभी संस्थाओं के सदस्यों तथा सभी जाति वर्ग के लोगों ने भाग लिया।

यज्ञ के माध्यम से वृहद स्तर पर यज्ञ करके पर्यावरण शुद्धि तथा बलिदानियों को श्रद्धाजंलि अर्पित की गयी। संसार की सभी श्रेष्ठ भावनाएं सनातन वैदिक धर्म में पाई जाती हैं और विश्व का कल्याण मानवता के आधार पर सम्भव है। सम्प्रदाय के आधार पर नहीं, सनातन मानवता को पोषित करता है।

सनातन संस्कृति में महाभारत युद्ध के बाद बहुत ही विषमताएँ आई हैं। नये-नये मत पंच सम्प्रदायों ने जन्म लिया है और उसने विघटन पैदा किया है। जो सनातन वेद पर आधारित था, अन्य पुस्तकों पर आधारित हो गया और सनातन का रूप बदलने लगा।

भगवान श्री राम और भगवान श्री कृष्ण सनातन की श्रेष्ठ परम्पराओं के संवाहक हैं और हमारे श्रेष्ठ पूर्वज हैं। हमें उनके आदर्शों पर चलना चाहिये।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आचार्य अग्निव्रत नैष्टिक ने कहा कि पुर्नजागरण के अग्रदूत महर्षि दयानन्द सरस्वती थे, जिन्होंने सामाजिक कुरीतियों जैसे—सती प्रथा, बाल विवाह, अस्पृश्यता, पर्दा प्रथा, बलि प्रथा, पशु हिंसा, नारी अशिक्षा आदि को दूर किया।

आपने समाज में समरसता लाने का प्रयास किया और 1875 में आर्य समाज की स्थापना की। आपकी प्रेरणा से ही क्रान्तिकारियों के गुरू श्यामजी कृष्ण वर्मा ने इंग्लैण्ड में इण्डिया हाउस की स्थापना की। महर्षि दयानन्द का जीवन आज भी हम सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।

मुख्य आकर्षण

महोत्सव का मुख्य आकर्षण वैशाली राजग्रुप दिल्ली द्वारा भगत सिंह पर आधारित मंचन था।

कविता सिंह द्वारा राष्ट्रवादी भजनों ने सभी को देश भक्ति की भावना से ओतप्रोत किया।

महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए आर्य कन्या गुरूकुल राजस्थान की आचार्या सूर्या देवी जी ने अपनी 06 कन्याओं के साथ वेद मंत्रों के द्वारा यज्ञ सम्पन्न कराया और यज्ञ की महिमा का बखान किया।

कार्यक्रम में कानपुर व आसपास के क्षेत्र में रहने वाले क्रान्तिकारियों के वंशजों को सम्मानित भी किया गया तथा उपस्थित हजारों के जनसमूह ने गुलामी का प्रतीक छोड़ भारतीय नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 30 मार्च को मनाने का संकल्प लिया।

मुख्य अतिथि

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री सम्पूर्णानन्द जी रहे।

वेद प्रचार फाउण्डेशन विगत 05 वर्षों से निरन्तर वैदिक कक्षाओं के माध्यम से युवाओं को जागरूक करने का कार्य कर रहा है।

कार्यक्रम के अन्त में सहभोज के द्वारा सामाजिक समरसता का संदेश दिया गया।

आयोजन समिति

कार्यक्रम के मुख्य आयोजक:
विनोद आर्य, दीपक अरोड़ा, ऋषभ श्रीवास्तव, अशोक पुरी, संतोष राठौर, सुखबीर शास्त्री, संदीप दीक्षित, बीना आर्या, वीरेन्द्र आर्य, अजय मिश्र, नीतू सिंह, अमरजीत सिंह पम्मी, करमजीत सिंह बाबा, मनजीत सिंह तथा आर्य युवा दल के सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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