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अपना दल विवाद: ब्रजेंद्र पटेल ने अनुप्रिया पर लगाया ‘आँखों में धूल झोंकने’ का आरोप, कुर्मी कार्यकर्ता को अध्यक्ष बनाने की मांग

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आँखों में धूल न झोंकें अनुप्रिया, किसी कार्यकर्ता को अध्यक्ष बनाएं : ब्रजेंद्र पटेल

प्रयागराज. 2017 में बने अपना दल सोनेलाल के संथापक, अध्यक्ष के सलाहकार और अब अपना मोर्चा के संयोजक ब्रजेंद्र प्रताप सिंह पटेल ने प्रयाग राज में मीडिया से मुखातिब होकर कहा कि हम दल के एकता के लिए बैठे थे. हमें बागी कहलवाया जा रहा है. अब अपना मोर्चा ही अपना दल सोनेलाल समझा जाए. हम कार्यकर्ता को दल की कमान देना चाहते हैं. अनुप्रिया और उनके पति में कोई फर्क नहीं है. दोनों एक मत हैं, एक राय हैं एक ही नीयत के हैं.


टिकट देने की शक्ति पति पत्नी के पास न रहे इसलिए कुर्मी कुल में जन्मे किसी भी कार्यकर्ता को अध्यक्ष बनाने की बात उठी है. वह भी 10 साल बाद. हम राजग में हैं. केंद्र और यूपी सरकार में हैं. पति को दल में पदावनत करने और मन्त्री पद छोड़ने का अभिनय न करवाएं. सबको बताएं कि ऐसा क्या हुआ है कि उनके पति कह रहे हैं कि उनको जेल भेजा जा सकता है. डरें नहीं. सबको बताएं. हम उनके साथ हैं. 2027 के लिए टिकट की कलाबाजारी के लिए अभी से जिद न करें. मिलकर बैठें. बिरादरी के बीच चलते हैं, सबको बतायेंगे कि सरकार उनको जेल क्यों भेजना चाहती है? सच बोला जायेगा तो जरूर बिरादरी साथ देगी.



अपना मोर्चा के अध्यक्ष और अपना दल सोनेलाल के संस्थापक राष्ट्रीय प्रवक्ता और राष्ट्रीय अध्यक्ष के सलाहकार ब्रजेंद्र सिंह पटेल ने एक अपील जारी करते हुए कार्यकर्ताओं और उत्तर प्रदेश के वंचित समाज से सजग रहने अपील की है. पटेल ने कहा कि समाज तक जो खबरें पहुंचाई जा रही हैं कि श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने अपने पति और कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल को संगठन में कार्यवाहक अध्यक्ष की जगह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया है, यह खबर, यह सूचना सामान्य लोगों तक अपना असली चेहरा छुपाने के लिए एक नया माया जाल है.बीते तीन-चार दिनों से जिस तरह से अपना दल के विधायक कार्यकर्ता, संस्थापक, पदाधिकारी और सदस्य पार्टी में अध्यक्ष बदलने और किसी
कुर्मी कार्यकर्ता को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित करने की मांग कर रहे हैं और अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल के कारगुजारियों की शिकायत कर रहे हैं उससे ध्यान भटकाने के लिए यह नया सांगठनिक फेरबदल किया गया है.इसके पीछे कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल की लिखी स्क्रिप्ट है और हमेशा की तरह वर्ष 2017 से लेकर अब तक आंख मूंदकर उस स्क्रिप्ट पर हस्ताक्षर करने वाली अनुप्रिया पटेल की सहमति और उनकी नीयत शामिल है. केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल कार्यकर्ताओं को यह दिखाना चाहती हैं और बिरादरी को यह बताना चाहती हैं कि वह अपने पति के खिलाफ एक्शन ले रही हैं.यह झूठ है. मायाजाल है.और आंखों से काजल चुराने जैसी बात है.



वर्ष 2017 में जब जवाहर पटेल अपना दल सोनेलाल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे, उनसे इस्तीफा लिखवाने और उनको पूर्व अध्यक्ष न लिखने देने के लिए थोड़ी देर में उनको राष्ट्रीय सचिव घोषित करने के पीछे भी आशीष पटेल की लिखी स्क्रिप्ट थी. उनकी पत्नी अनुप्रिया पटेल के हस्ताक्षर शामिल थे. अनुप्रिया पटेल को यह लग रहा है कि अब एक तरफ पार्टी के संस्थापक सदस्य और पार्टी के अनेक विधायक जिनकी संख्या 9 से 10 है, वह सब टिकट बिक्री के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं और यह बात बिरादरी के बीच तेजी से जा रही है.इसीलिए अब वह अपने पति का कद छोटा दिखाना चाहती हैं ताकि क्षणिक तौर पर कार्यकर्ताओं का गुस्सा शांत हो और पार्टी में एकीकरण की कोशिश करने वाले अपना मोर्चा के संयोजक बृजेंद्र प्रताप सिंह पटेल, मोर्चे के सदस्यों में शामिल धर्मराज पटेल राज्य मंत्री का दर्जा हासिल किए अरविंद सिंह पटेल, हेमंत चौधरी समेत दो दर्जन पूर्व विधायक सांसद और संस्थापक सदस्य झूठे साबित हो जाएं और उनके पीछे किसी दूसरी ताकत का हाथ बता दिया जाए. डॉ.सोनेलाल पटेल के दामाद अनुप्रिया पटेल के पति और कैबिनेट मंत्री आशीष सिंह पटेल ने 2 जुलाई की सुबह यह स्क्रिप्ट तैयार कर ली थी कि अब कार्यकर्ताओं का सामना कैसे करना है. पहले विरोधियों को चेताया फिर कार्यकर्ताओं की आवाज के पीछे सियासी ताकत और 1700 करोड़ रुपए की आर्थिक ताकत का बहाना बनाया.



आशीष पटेल ने यह बयान दिया कि विरोध करने वाले बृजेंद्र प्रताप सिंह पटेल के पीछे 17 करोड रुपए की ताकत खड़ी है.उनका इशारा किस तरफ था? यह खुलकर नहीं बताया मगर आशीष डर रहे हैं और वह लगातार कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश की एसटीएफ उनके पीछे पड़ी हुई है. भ्रष्टाचार के तमाम मामले उनके खिलाफ जांच के अंतिम दौर में है इसलिए डरे हुए आशीष पटेल ने अब खुद को शहीद होने का राजनीतिक सहित होने का एक स्क्रिप्ट तैयार की है. इसमें स्क्रिप्ट की क्रिएटर उनकी पत्नी अनुप्रिया पटेल हैं. अनुप्रिया पटेल के इशारे पर ही आशीष पटेल राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद स्वीकार करने के लिए तैयार हुए हैं और वह लगातार यह बयान दे रहे हैं की जरूरत पड़े तो मंत्री पद छोड़ देंगे. वे ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं कि उन्हें कार्यकर्ताओं के हक के लिए, सम्मान के लिए मंत्री पद छोड़ने वाला महान समझा जाए. हकीकत ये है कि 2027 का चुनाव बहुत निकट है. भाजपा सेसीटों की मांग भी करनी है, पंचायत चुनाव में भी कार्यकर्ताओं का दबाव है और पंचायत चुनाव के दौरान बिरादरी उनसे सवाल पूछेगी कि बीते 10 साल में किया क्या? लोकसभा के अंदर जब महिला आरक्षण का बिल पास हो रहा था तो अनुप्रिया पटेल ने महिलाओं के आरक्षण के अंदर पिछड़ी जाति की महिलाओं के आरक्षण की मांग क्यों नहीं उठाई ? और मंच अब मंच पर दावा करते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निवेदन पर जाति जनगणना करने का ऐलान किया है. अनुप्रिया एक दिखावा यह भी करती हैं कि वे भारत सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्रालय की मांग कर रही हैं. ये वही अनुप्रिया है जिन्होंने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और संसद के पिछड़ा वर्ग की संसदीय कमेटी के कामकाज को अपना बताकर क्रेडिट के लिए अभियान छेड़ा था.


मोर्चा के नेताओं ने लगातार एक हफ्ते से यह कोशिश की है कि पार्टी एकजुट होकर चले जैसे 2017 में सारे लोग एक साथ थे. मोर्चा झगड़ा खत्म करके एकीकरण का प्रस्ताव दे रहा है.


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