समय शताब्दी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक चंद्र कुमार गंगवानी लालू ने दीनार टाइम्स से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान बताया कि कैसे धीमे-धीमे समय शताब्दी ने एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया… उनकी यह सक्सेस स्टोरी सभी युवाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा है… आज के युवा अगर मेहनत लगन और ईमानदारी से कार्य करेंगे तो उनको सफलता जरुर हासिल होगी
प्रश्न – आज समय शताब्दी में सौ से अधिक बसें और अपना टर्मिनल है लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ा ?
उत्तर – हां, झांसी वाले गुप्ता जी के सुझाव पर कानपुर के फजलगंज में पहलवान होटल के मालिक से पहली भेंट हुई तो उनके सुझाव पर फुटपाथ पर टेबल चेयर लगा कर बस सेवा का कार्य शुरु किया. काफी प्रशासनिक समस्याएं आईं, वह डग्गामार मानते थे जबकि हम तो परमिट, फिटनेस, टैक्स आदि के कागज दिखाए और बताया कि केवल टूर से काम नहीं चलेगा, अधिकारियों के सुझाव पर ही हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में रिट याचिका लगायी. निर्णय आया कि आप सिंगल सवारी यानी कानपुर से इंदौर के लिए 30 सीटर बस में 30 की बुकिंग कर सकते हैं लेकिन रास्ते में सवारी नहीं ले सकते हैं. इस तरह काम तो शुरु हुआ फिर भी प्रशासनिक परेशानियां आती रहीं. अंत में अधिकारियों ने बात मानी कि बस वाले तो सरकार की मदद ही कर रहे हैं और उन्होंने अनुमति देने के साथ ही थाना नजीराबाद को पार्किंग का आदेश भी दिया कि बसें सड़क पर न खड़ी की जाएं. इससे बस संचालन को बल मिला.
प्रश्न – बस सेवा के कार्य को कैसे विस्तार मिला ?
उत्तर – कुछ दिनों तक कानपुर से इंदौर बस सेवा करने के बाद ही समझ में आ गया कि एक रूट से काम चलने वाला नहीं है, ऐसे में फाइनेंस करा अन्य बसों की व्यवस्था की और कानपुर से पिंक सिटी यानी जयपुर राजस्थान की सेवा शुरु की. जयपुर जाने पर रास्ते में मेहंदीपुर बाला जी के दर्शन किए तो उनकी कृपा प्राप्त हुई जिससे कार्य को तेज गति मिली और आज सेवा का विस्तार दस राज्यों तक हो चुका है. इसके बाद कानपुर से ग्वालियर सेवा शुरु किया. संघर्ष चलता रहा और फल ईश्वर देता रहा.
प्रश्न – समाज सेवा और राजनीति की ओर कैसे रुझान हुआ ?
उत्तर – ग्वालियर में पढ़ने और काम के बीच ही भाजपा के शीर्ष नेता स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी कांग्रेस के माधव राव सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़ने आए थे जिसमें खूब बढ़ चढ़ कर भाग लिया. वहीं पर राजमाता विजय राजे सिंधिया से भी भेंट हुई जिन्होंने पुत्रवत स्नेह दिया. कानपुर में बस सेवा शुरु करने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठतम कार्यकर्ता वासुदेव वासवानी से भेंट हुई तो उन्होंने सामाजिक संगठन तुलसी परिवार से जोड़ कर समाज सेवा को प्रेरित किया. यहीं पर बजरंग दल के संस्थापक संयोजक रहे भाजपा के फायर ब्रांड नेता विनय कटियार, व्यापारी हृदय सम्राट स्वर्गीय श्याम बिहारी मिश्र, नगर सीट से तीन बार सांसद और महापौर रहे कैप्टन जगतवीर सिंह द्रोण, विधायक रहे राकेश सोनकर आदि से भेंट हुई और उनके चुनावों में खुल कर कार्य किया. तब से राजनीति में सक्रिय हैं.
प्रश्न – अब राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय रहते हुए क्या करने की इच्छा है ?
उत्तर – दो बेटे हैं जिनका विवाह कर पारिवारिक दायित्व से मुक्त हूं और राजनीतिक क्षेत्र में खुल कर कार्य करने की इच्छा है. पार्टी नेतृत्व में एक बार सिंधी अकादमी का सदस्य बनाया तो समाज के लिए खूब कार्य किया. संगठन के वरिष्ठजनों से अपनी आकांक्षा बता दी है और उम्मीद है कि वे मेरे बारे में कोई उचित निर्णय करेंगे. जहां तक चुनाव में जातिगत समीकरण का सवाल है, पहले छावनी और महाराजपुर से आदरणीय सतीश महाना जी लगातार विधायक बनते हुए विधानसभा अध्यक्ष के रूप में कुशलता से कार्य कर रहे हैं. जबकि उनके विधानसभा क्षेत्र में उनकी जाति के बहुत कम मतदाता होंगे, वे तो उनके कार्य के आधार पर उन पर विश्वास करते हैं.