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रामकथा के दूसरे दिन भक्त शबरी और गंगा प्राकट्य कथा का किया बखानडीटीएनएन

Kanpur Ram Katha Shabari Ganga
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कानपुर। मर्चेंट चैंबर हाल सिविल लाइन में चल रही राम कथा में शुक्रवार को मंदाकिनी दीदी ने कहा कि दंडकारण्य जैसी भूमि में जन्मी शबरी को भगवान श्रीराम ने जिस सम्मान से अपनाया वैसा सौभाग्य संपूर्ण मानस में विरले ही किसी पात्र को प्राप्त हुआ। उन्होंने गंगा प्राकट्य कथा का भी भावपूर्ण निरूपण किया।


उन्होंने समझाया कि भक्ति तभी प्रकट होती है जब साधक अपने भीतर से मैं का संपूर्ण समर्पण प्रभु के चरणों में कर देता है। ब्रह्मांड का दान भी तब तक बलिदान नहीं कहलाता जब तक व्यक्ति अपने अहंकार को न त्यागे। यही समर्पण सच्चा बलिदान है। उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास की भक्ति की तुलना गंगा से करने का रहस्य पुराणों के माध्यम से स्पष्ट किया। दैत्यराज बलि के यज्ञ, शुक्राचार्य की दृष्टि और वामन भगवान के प्राकट्य प्रसंग को जोड़ते हुए बताया कि ब्रह्मा के अभिमान करने पर मां गंगा उनके चरणों से प्रवाहित हुईं और धरती पर आकर सभी जीवों के लिए कल्याणकारी बनी।


कहा कि जिस प्रकार मां गंगा प्रयागराज से लेकर सागर तक असंख्य जीवों को पावन करती हैं उसी तरह भक्ति भी सहज, सरस और सर्वसुलभ होकर प्रत्येक प्राणी का उद्धार कर सकती है। इस मौके पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजीव गर्ग, प्रधानमंत्री कमलकिशोर झा, उपाध्यक्ष लाल जी शुक्ला, गोपाल कृष्ण माहेश्वरी, मंत्री अमरनाथ मेहरोत्रा, मंत्री आलोक अग्रवाल, संरक्षक राकेश गर्ग मौजूद रहे |

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