धर्म

महाकुंभ में १४४ सालों बाद तीनों प्रमुख अखाड़ों की सर्वसम्मति से स्वामी श्री सतीशाचार्य जी महाराज को प्रदान की गई जगद्गुरु की उपाधि|

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In Mahakumbh 2025, after 144 years, the three major Vaishnav Akharas unanimously honored Swami Shri Satishacharya Maharaj with the prestigious title of “Jagadguru,” marking a historic moment for Sanatan Dharma.

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प्रयागराज । सनातन धर्म के लिए एक ऐतिहासिक क्षण में, निर्वाणी अनी अखाड़ा, निर्मोही अनी अखाड़ा और दिगंबर अनी अखाड़ा की सर्वसम्मति से अनंतश्री विभूषित जगद्गुरु रामानंदाचार्य प्रेमेश्वर पीठाधीश्वर स्वामी श्री सतीशाचार्य जी महाराज को “जगद्गुरु” की प्रतिष्ठित उपाधि से विभूषित किया गया है। इस शुभ अवसर पर संत समाज, भक्तगण और सनातन धर्म के अनुयायियों में हर्ष की लहर दौड़ गई है।

तीनों अखाड़ों की ऐतिहासिक सहमति

सनातन धर्म में वैष्णव संप्रदाय के तीन प्रमुख अखाड़े हैं—निर्वाणी अनी अखाड़ा, निर्मोही अनी अखाड़ा और दिगंबर अनी अखाड़ा। ये तीनों अखाड़े भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण की भक्ति में संलग्न वैष्णव संतों का संगठित संप्रदाय हैं।

निर्वाणी अनी अखाड़ा, जिसकी स्थापना स्वामी बालानंदाचार्य जी ने 1476 ईस्वी में की थी, अयोध्या के हनुमान गढ़ी में स्थित है और इसका सनातन धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है। अखाड़े के वर्तमान अध्यक्ष एवं पीठाधीश्वर पूज्य श्री मुरली दास जी महाराज ने स्वामी श्री सतीशाचार्य जी महाराज को जगद्गुरु बनने पर अपनी शुभकामनाएँ और आशीर्वाद प्रदान किए।

सनातन धर्म और समाज में अमूल्य योगदान

स्वामी श्री सतीशाचार्य जी महाराज वर्षों से सनातन धर्म की सेवा कर रहे हैं। उनकी आध्यात्मिक साधना, वेद-शास्त्रों में गहन निपुणता और समाज कल्याण के प्रति समर्पण भाव उन्हें अद्वितीय बनाता है। वे अपने प्रवचनों और सत्संग के माध्यम से हजारों लोगों को धर्म, भक्ति और ज्ञान के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर चुके हैं। उनकी दिव्य वाणी और लोक कल्याणकारी दृष्टिकोण ने उन्हें संत समाज में विशिष्ट स्थान दिलाया है।

गौवंश रक्षा और समाज सुधार की दिशा में प्रयास

स्वामी श्री सतीशाचार्य जी महाराज ने गौवंश रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। वे गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के प्रबल पक्षधर हैं और सरकार से इस दिशा में कठोर कदम उठाने की माँग कर चुके हैं। इसके अलावा, वे भारतीय संस्कृति और संस्कारों की रक्षा के लिए युवाओं को भारतीय मूल्यों और परंपराओं से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं।

उनका स्पष्ट संदेश है—“सच्चे इंसान बनो, धर्म को अंगीकार करो।” वे समाज को दहेज प्रथा के उन्मूलन, सादगीपूर्ण विवाह समारोह और आपसी प्रेम, सद्भाव व संस्कारों की ओर प्रेरित कर रहे हैं।

भविष्यवाणियाँ जो हुईं सटीक सिद्ध

स्वामी श्री सतीशाचार्य जी महाराज को उनकी सटीक भविष्यवाणियों के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने कई धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी की है, जो समय के साथ सत्य साबित हुई हैं। उनकी वाणी में माँ सरस्वती का वास माना जाता है, और उनके प्रवचनों को सुनने के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं।

सनातन धर्म की ध्वजा को ऊँचा करने का संकल्प

गुरुदेव का एकमात्र लक्ष्य सनातन धर्म की पताका को पूरे विश्व में ऊँचा करना और मानव समाज को आध्यात्मिकता की ओर प्रवृत्त करना है। वे भक्तों को ईश्वर की भक्ति, वेदों के अध्ययन और धर्मानुसार जीवन जीने की प्रेरणा दे रहे हैं।

उनके मार्गदर्शन में वैष्णव संत परंपरा और अधिक प्रखर होगी और सनातन धर्म की महिमा को नई ऊँचाइयाँ प्राप्त होंगी।

पूज्य गुरुदेव को कोटि-कोटि नमन!

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