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संघ एक भाव व जीवन दर्शन हैः डॉ मोहन भागवत

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अंजनी निगम, डीटीएनएन

कानपुर , संघ का कार्य केवल संघ का कार्य नहीं है बल्कि यह तो वास्तव में पूरे समाज का कार्य है इसलिए पूरे समाज को यह कार्य करना चाहिए, अपने स्वयं के लिए, परिवार के लिए समाज के लिए और देश के लिए.


यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ मोहन राव भागवत ने कारवालो नगर स्थित संघ कार्यालय के प्रवेशोत्सव में कही. उन्होंने अम्बेडकर जयंती पर कार्यालय भवन स्थित डॉ. भीमराव अम्बेडकर सभागार का भी उद्घाटन किया.


उन्होंने कहा दुनिया के किसी भी देश में जहां समाज इस कार्य को करता है, वहां परिवार और समाज दोनों ही सुरक्षित होते हैं. और समाज के कारण विश्व भी सुरक्षित रहता है. लेकिन बीते दो हजार वर्षों में समाज में जो आत्मविस्मृति आई, उसके कारण हम आपसी स्वार्थों में उलझ गए. भेद पैदा हो गए जिनके कारण अपने कर्तव्यों से विमुख हो गये. परिणाम स्वरूप विदेशी आक्रांताओं ने हमें पीटा और लूटा जिससे समाज का यह कार्य पूर्णतः बंद हो गया.


अब किसी को तो प्रारंभ करना पड़ता है शुरु में सब नहीं करते इसलिए यह कार्य उनका कहा जाता है जो करते हैं लेकिन काम तो ये समाज का है. उन्होंने मोटर साइकिल शुरु करने के लिए स्टार्टर या कि दबाने का उदाहरण देते हुए कहा कि चलना तो मशीन का कार्य है. पहले स्टार्टर ही कार्य करता है फिर पूरी मशीन. ऐसा ही है संघ का कार्य कि प्रत्येक व्यक्ति परिवार सुखी सुरक्षित निरामय बने. इससे विश्व की आवश्यकताओं को पूरा करने का अवसर मिलेगा. इसलिए यह कार्य शुरु हुआ जो हिंदू संगठन का कार्य है.

हिंदू समाज की जवाबदेही
उन्होंने कहा भारत हिंदू समाज का घर है इसलिए हिंदू समाज उसके लिए उत्तर दायी है. जो अपने को हिंदू कहता है, उसी से देश के बारे में पूछा जाएगा जवाबदेही भी उसी की बनती है. भारत सुखी हो रहा है सुरक्षित हो रहा है तो विश्व भर में हिंदुओं की सुरक्षा बढ़ी है.

कार्य और आलय के अर्थ बताया
संघ के कार्य को हिंदू समाज का कार्य बताते हुए सर संघचालक ने कहा कि यह कार्य है और जहां पर हम लोग इस समय उपस्थित है यह उसका आलय है. कार्य तो सतत चलता है, किंतु किसी एक स्थान से उसे देख सकते हैं ऐसा करना पड़ता है. हिंदू समाज के संगठन का कार्य पूरे विश्व में चल रहा है. स्वयंसेवक कार्य कर रहा है किंतु जहां पर आने से उसे अनुभव मिल सकेगा, उस स्थान को हम कहते हैं संघ कार्यालय. कार्यालय केवल भवन या पत्रावली रखने या कुछ लोगों के बैठने का स्थान नहीं होता बल्कि वहां पर संघ का अनुभव मिलता है, संघ का कार्य लोगों को जोड़ने का है. संघ का कार्य सबके जीवन में सत्य, करुणा, शुचिता, पवित्रता का है. कार्यालय का भावनात्मक स्वरूप होता है जहां से सूचना का लेना देना, संघ साहित्य पढ़ना, अनुभव लेना होता है. उन्होंने भवन के अंदर की चर्चा करते हुए कहा कि जितनी जरूरत है उतना ही बनाया गया है क्योंकि इसकी आवश्यकता महसूस हुई. इसमें कोई लग्जरी नहीं है. जब कार्यालय नहीं था तब भी संघ था, तब स्वयंसेवकों के हृदय में था. उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा कि संघ एक भाव है, जीवन है जिसे हमें सुरक्षित रखना है.

बाबा साहब संघ की शाखा में गए
डॉ भागवत ने संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर के बारे में कहा कि वे एक बार महाराष्ट्र के कल्हाड़ में संघ की शाखा में आए और पूरे कार्य का निरीक्षण किय. उनके भाषण को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने अपने अखबार केसरी में लिखा भी. बाबा साहब ने कहा कि कुछ बिंदुओं पर मेरा संघ से मतभेद है फिर भी मैं संघ को अपनत्व के भाव से देखता हूं.

पुरानी यादें ताजा कीं
डॉ भागवत ने कहा कि इस स्थान पर पहले भी आ चुका हूं किंतु कभी इतनी भीड़ नहीं देखी जो आज है. हां तब सड़कों पर भीड़ और जाम जरूर दिखाई दिया. आज यहां पर उत्सव का वातावरण है. इसका कारण भी स्वाभाविक है क्योंकि केशव स्मृति समिति के तत्वावधान में केशव भवन के रूप में संघ कार्यालय का उद्घाटन हो रहा है.

सर संघचालक ने किया कर्मकारों का सम्मान
सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने वास्तुकार राजीव सिंह, मिस्त्री विजय कुमार व रंजीत कुमार, श्रीमती पुष्पा व तारा को मंच पर बुला कर सम्मानित किया गया. संचालन कर रहे अरविन्द्र मेहरोत्रा ने “पथ में पथिक विश्राम कैसा” ध्येय वाक्य दोहराते हुए कहा कि इन सभी लोगों ने कार्यालय का निर्माण कार्य 18 माह पूर्व शुरु होने से ही अपने कार्य को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ किया और तब से अभी तक यहीं पर प्रवास कर रहे हैं. केशव स्मृति समिति के पदाधिकारी विमलेश जी और विपिन तिवारी ने लकड़ी, कारपेंटर, बिजली, टाइल्स एवं पत्थर, फ्लोरिंग आदि का कार्य करने वाले राकेश, हिमांशु, हनुमान, सुनीत, विनोद सोलंकी, राजेन्द्र पाल आदि को भी उनके स्थान पर जा कर अंग वस्त्र और माल्यार्पण कर सम्मानित किया.

स्मृति चिन्ह देकर किया गया सम्मानित
मंच पर आने पर डॉ मोहन भागवत को भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा देकर सम्मानित किया गया जिसमें वीरेन्द्र पराक्रमादित्य, भवानी भीख, कुंज बिहारी गुप्त और सर्वेश कुमार रहे.

वीरेन्द्र पराक्रमादित्य ने की अध्यक्षता
ब्रह्मावर्त सनातन धर्म महामंडल के अध्यक्ष वीरेन्द्र पराक्रमादित्य ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि कार्यकर्ताओं के अथक परिश्रम और समर्पण के परिणाम स्वरूप कार्यालय का निर्माण पूरा हो सका है. उन्होंने 1948 में संघ पर लगे प्रतिपंध के समय उपजे गीत की पंक्ति रोक सकेंगे नहीं संघ शक्ति का प्रबल प्रवाह दोहराते हुए कहा कि सामाजिक विषमता, उपेक्षा और अंधकार को चीर कर संघ अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है.

18 माह में पूरा हुआ केशव भवन का कार्य
केशव स्मृति समिति के सचिव सर्वेश कुमार ने बताया कि प्रेरणा और ऊर्जा का केंद्र है केशव भवन. संघ कार्यालय की गाथा बताते हुए उन्होंने कहा कि तत्कालीन महानगर संघचालक शिव शरण शर्मा के नेतृत्व में 1978 में समिति का गठन हुआ और रजिस्ट्रेशन 13 मार्च 1978 को हुआ था. डॉ ज्ञान चंद्र अग्रवाल समिति के पहले मंत्री थे. इसके पहले गांधी चौक में किराए के भवन में कार्यालय था जिसे बाद में खरीदा गया. यहां पर तत्कालीन प्रचारक अशोक सिंहल जी थे जिनकी प्रेरणा स्वयंसेवकों को मिलती रही. जब संघ के विस्तार और कार्यकर्ताओं की स्थितियों को देखते हुए एक बड़े स्थान की आवश्यकता हुई तो समिति ने इस पुराने भवन को 1979 में खरीदा. और उस समय की आवश्यकता को देखते हुए निर्माण कार्य कराने के बाद भाग कार्यालय खोला गया.

प्रांत का निर्माण होने के बाद कार्य के अनुसार गतिविधियों का संचालन करने के लिए नवीन भवन के निर्माण की योजना बनी और 8 मई 2023 को पूजन एवं शिलान्यास किया गया. निर्माण कार्य की देखरेख के लिए निर्माण समिति का गठन किया गया जिसमें राजीव अवस्थी, विनीत सिंह चंदेल, विनोद अग्रवाल रहे. 10 अक्टूबर 2023 से अभियंताओं की देखरेख में निर्माण कार्य शुरु हुआ जिसमें उच्च गुणवत्ता और पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा गया है. 6 अप्रैल को भूमि पूजन किया गया.

मुख्य भूमिका निभाने वाले प्रांत प्रचारक नीचे ही रहे
नव निर्मित केशव भवन की योजना बनाने से लेकर उसे मूर्त रूप देकर प्रतिनिधि सभा की बैठक में सरसंघचालक से प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में आने का आग्रह करने वाले प्रांत प्रचारक श्री राम जी मंच के नीचे ही रहे और सभी कार्यों का बारीकी से निरीक्षण करते रहे. शायद उनके जैसे समर्पित स्वयंसेवकों के लिए ही कहा गया है संघ कार्यकर्ता नींव का पत्थर होता है.

समिति के अध्यक्ष ने दिया धन्यवाद
केशव स्मृति समिति के अध्यक्ष कुंज बिहारी गुप्ता ने परमपिता परमेश्वर का स्मरण करते हुए धन्यवाद दिया, उन्होंने उपस्थित स्वयंसेवकों, नागरिकों, मातृ शक्ति, सुरक्षा और सफाई कर्मियों और उनके अधिकारियों के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित किया. उन्होंने सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत, प्रांत संघचालक भवानी भीख, कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्रह्मावर्त सनातन धर्म महामंडल के अध्यक्ष एवं महानगर के वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट वीरेन्द्र पराक्रमादित्य सिंह के प्रति भी आभार व्यक्त किया.

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