डीटी एनएन।कानपुर देहात । अभिभावक परेशान हैं, लेकिन बच्चे की पढ़ाई के खातिर कर्ज लेकर भी स्कूल की डिमांड पूरी नहीं कर पा रहे हैं। ग्रामीण इलाके में खुले प्राइवेट मान्यता एवं गैर मान्यता प्राप्त वाले विद्यालय निजी प्रकाशनों की किताबें लगाकर अभिभावकों की जेब पर डाका डाल रहे है। लेकिन जिले की शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर जिला प्रशासन भी इन पर नियंत्रण करने में कोताही बरत रहा है।
एक अप्रैल से शैक्षिक सत्र शुरु होने के साथ ही निजी स्कूलों की मनमानी भी शुरु हो गई है। शासन की ओर से भले ही 10 फीसदी से अधिक फीस न बढ़ाने का निर्देश हो, लेकिन इन स्कूलों की किसी तरह की जांच न होने से समस्या है। मनमानी तरीके से फीस बढ़ाने के साथ ही निजी स्कूल कापी किताबों के साथ ही टाई बेल्ट तक स्कूलों से ही बेच रहे हैं। इसके साथ ही स्कूलों से डायरी एवं फोटोकॉपी रिफिल पैड आदि उपलब्ध कराने के नाम पर भी पैसे की वसूली की जा रही है।कुछ स्कूल जांच और कार्रवाई के भय से दुकान सेट किए हैं, एक दुकान के अलावा उनके स्कूल में चलने वाली पुस्तकें दूसरी किसी दुकान में नहीं मिलतीं हैं। बिना मान्यता के स्कूल संचालन पर रोक के बावजूद सैकड़ो स्कूल चल रहे हैं। गांवों तक में अंग्रेजी मीडियम स्कूल खुले हैं। विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा है।
शिक्षकाें की अर्हता पर भी नहीं ध्यान
इन निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की अर्हता पर भी किसी का ध्यान नहीं है। बड़ी संख्या में स्कूलों में सिर्फ इंटर, बीए बीएससी किए युवक युवतियां शिक्षक हैं। इनके पास न तो शिक्षण की कोई डिग्री है और न ही डिप्लोमा। इस तरह के लोगों को शिक्षण में लगाने से स्कूल संचालकों को इन्हें कम पगार देनी पड़ती है और अभिभावकों से भारी फीस वसूल कर मुनाफा कमा रहे हैं।
नहीं मानते सरकार की शिक्षा नीति
इन निजी स्कूलों पर कोई शिक्षा नीति लागू नहीं नजर आती है। कक्षा 1 से 8 तक की मान्यता होने के बावजूद यहां पर अवैध रुप से पीजी, एलकेजी व यूकेजी की कक्षाएं संचालित होतीं हैं। इन पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। इनके जरिए भी इन स्कूलों की मोटी कमाई होती है।
हिंदी की मान्यता इंग्लिश मीडियम का संचालन
प्राइवेट स्कूलों के संचालक शिक्षण कार्य के लिए सिलेबस अपने मन का चला रहे है।
स्कूलों ने बेसिक शिक्षा परिषद से कक्षा 8 तक की मान्यता ले रखी है। इसमें हिन्दी और अंग्रेजी मीडियम दोनों ही तरह के स्कूल शामिल हैं। मान्यता के साथ ही परिषद की ओर से पाठ्यक्रम और पुस्तकें भी निर्धारित हैं, लेकिन स्कूल संचालक मनमानी ढंग से सिलेबस तय करके अपनी सुविधा के अनुसार प्रकाशकों से पुस्तकें छपवाकर उनकी मनमानी कीमत निर्धारित करके उससे मुनाफा कमाते हैं। इसके अतिरिक्त जिन विद्यालयों की हिंदी मीडियम की मान्यता है वह अंग्रेजी माध्यम से स्कूलों का संचालन करने का दावा कर रहे हैं। वही प्राइमरी स्तर की मान्यता होने पर जूनियर और हाईस्कूल स्तर की कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है।
ले रहे एडवांस फीस
वही प्राइवेट स्कूलों के संचालक अभिभावकों से एडवांस में फीस वसूल कर रहे हैं। तिमाही और छमाही के नाम पर एक साथ पैसा जमा कर रहे हैं। वहीं उसी स्कूल में कक्षोन्नति पाने वाले बच्चों से नई कक्षा के नाम पर प्रमोशन शुल्क के नाम वसूली की जा रही है। उतने ही महीने का वाहन शुल्क भी एडवांस लिया जा रहा है।
स्कूलों में मनमाने तरीके से फीस वसूली और किताबें व सामान विक्रय करना गलत है। ऐसे स्कूलों को जल्द ही चिह्नित कराने के साथ ही छापेमारी की जाएगी। मनमाना सिलेबस व पुस्तकों का भी प्रयोग रोका जाएगा।
अजय मिश्र, बीएसए कानपुर देहात