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डायबिटीज के मरीजों के लिये शुगर के साथ ही हार्ट व किडनी की जांचे भी जरुरी-डीटीएनएन

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कानपुर। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कानपुर शाखा ने एक सीएमई प्रोग्राम का आयोजन शनिवार को सेमिनार हाल में किया। सीएमई में वक्ताओं ने टीटूडी के साथ सीकेडी में कार्डियो-रीनल परिणाम – चरण प्प्प् क्लिनिकल परीक्षणों से अंतर्दृष्टिष् विषय पर, द्वितीय सत्र के वक्ता डॉ श्रीपाद, एम.डी., डी.एम., सलाहकार हृदय रोग विशेषज्ञ, कानपुर ने टीटूडी और सीकेडी के रोगियों में फिनरेनोन के साथ हृदय संबंधी सुरक्षा विषय पर पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए।


आईएमए कानपुर की अध्यक्ष डॉ नंदिनी रस्तोगी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए इन बीमारियों की गम्भीरता के विषय में बताया। वक्ताओ का परिचय डॉ विकास मिश्रा सचिव आईएमए कानपुर ने दिया एवं आज के विषय पर प्रकाश डॉ ए सी अग्रवाल, चेयरमैन वैज्ञानिक सब कमेटी ने दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ गणेश शंकर वैज्ञानिक सचिव ने किया तथा अंत में धन्यवाद ज्ञापन आईएमए कानपुर के सचिव डॉ विकास मिश्रा ने दिया।


प्रथम सत्र के चेयरपर्सन डॉ समीर गोविल वरिष्ठ गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्चना भदौरिया, वरिष्ठ सलाहकार नेफ्रोलॉजिस्ट, लोटस हॉस्पिटल, कानपुर थे। द्वितीय सत्र के चेयरपर्सन डॉ. ए.के. त्रिवेदी, वरिष्ठ सलाहकार हृदय रोग विशेषज्ञ, कानपुर एवं डॉ. उमेश्वर पांडे, एचओडी, प्रोफेसर, एलपीएस इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी, कानपुर थे।


डॉ श्रीपद, हृदय रोग विशेषज्ञ ने बताया कि डायबिटीज मेलायटिस ( मधुमेह) भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बीमारी है। डायबिटीज की वजह से लोगों को हार्ट अटैक और किडनी फेल होने की समस्या होती है। अभी तक मधुमेह के इलाज में सिर्फ शुगर कंट्रोल को टारगेट रखा जाता था लेकिन उन दवाओं से हार्ट अटैक के या किडनी खराब होने के चांसेज कम नहीं होते थे अब वैज्ञानिक रिसर्च के बाद कुछ नई दवाइयां बाजार में उपलब्ध है जो कि मरीज हार्ट अटैक और डायलिसिस से बचा सकती है मगर इन दवाओं को डायबिटीज के शुरुआती चरण में चालू करना पड़ता है इसलिए मरीजों को अपनी शुगर के साथ साथ हार्ट और किडनी की जांचे शुरुआती दौर में ही कर लेनी चाहिए।


डॉ मानसी सिंह, गुर्दारोग विशेषज्ञ ने बताया कि हर पांचवे मधुमेह रोगी को किडनी खराब होने का खतरा बना रहता है इसलिए हर मधुमेह के मरीज को नियमित रूप से अपनी किडनी की जांच कराते रहना चाहिए, पेशाब से प्रोटीन का रिसाव इसका प्रथम लक्षण हो सकता है जैसे कि आम जनता में यह भ्रांति है कि किडनी की बीमारी लाइलाज होती है लेकिन आधुनिक वैज्ञानिक शोधों से पिछले कुछ वर्षों में कई नई दवाइयां आई है अगर सही समय पर डॉक्टर से इस बीमारी का शुरू किया जाए तो बहुत अच्छे नतीजे पाए जा सकते हैं।