डीटी एनएन।कानपुर देहात।
धरती मां का श्रृंगार हरे-भरे पेड़-पौधों से ही है। इससे लोगों को शुद्ध आक्सीजन प्राप्त होने के साथ ही पर्यावरण भी शुद्ध रहता है। इसकी अनदेखी कर हरे पेड़ों की कटान न केवल धरती की सुंदरता को बिगाड़ रही है। बिगड़ते पर्यावरण की भयावहता पर ध्यान न दिए जाने से हालत बिगड़ते जा रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान आक्सीजन की कमी से लोगों को जूझना पड़ रहा था।पौधरोपण की कमान संभाले जिम्मेदार जहां महज खाना पूरी कर रहे हैं, वहीं प्रथ्वी के प्रहरी बन कुछ लोगों व संतों ने धरती मां का श्रंगार कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के साथ वातावरण मे प्राणवायु का भंडार भर रखा है।
पृथ्वी के प्रहरी बने कड़री के संत,दिया पर्यावरण संरक्षण का मंत्र
पेड़ों से उत्सर्जित प्राण वायु कही जाने वाली ऑक्सीजन से ही मानव जीवन संभव है। इसे आत्मसात करते हुए आस्था के केंद्र हनुमान गढ़ी आश्रम कड़री के संत ने मानव जीवन को बचाने के लिए 251 पीपल के पौधों को जीवन देकर प्राणवायु का भंडार बनाया है,अब वह बदले हालात में लोगों को खासी राहत दे रहा है। यहां लगाए गए तुलसी के पौधे भी अब महामारी से बचाने में औषधि का काम कर रहे हैं।करीब 38 साल पूर्व शिवली-रूरा मार्ग पर कड़री गांव के बाहर स्थित वीरान अति प्राचीन धार्मिक स्थल पर आए इन संत ने कुटिया बनाकर यहां तपस्या व साधना करने के साथ श्रमदान कर आश्रम की ऊबड़ खाबड़ जमीन को समतल बनाया। इसके साथ ही पत्तियों व गोबर की खाद से उपजाऊ बनाकर बीस साल पहले यहां पीपल के पौधेरोपित करने के साथ ही गूलर,आम व जामुन आदि के पौधे लगाए। यही पौधे अब यहां प्राणवायु का संचार कर रहे हैं।
वैकल्पिक आक्सीजन के हुए इंतजाम
टिकरी में हर साल मनाया जाता पौधों का जन्म दिन
मैथा ब्लॉक के टिकरी गांव के स्कूल परिसर को हरा भरा करने की मुहिम जुटी गांव की आकांक्षा सिंह उर्फ शिखा सिंह समाजशास्त्र से परास्नातक हैं। उनके पति वकील हैं। मोहल्ले के अमन, शोभा, शिवा व राघव की मदद से शिखा सिंह ने आंवला, नीम, पीपल, अमलताश, बेल के सौ पौधे लगाकर पर्यावरण बचाने की मुहिम शुरू की। सभी ने पौधे रोपित करने के साथ इनकी देखरेख की जिम्मेदारी निभाकर हरियाली के महत्व से लोगों को रूबरू कराया। हरियाली के प्रति योगदान में गांधी पर्यावरण योद्धा पुरस्कार हासिल कर चुकी शिखा हर साल 26 मई को पेड़ों का जन्मदिन मनाया जाता है। वहीं जनपद में कई लोग और भी पेड़ों के संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं। गांधी पर्यावरण योद्धा पुरस्कार हासिल कर चुकी शिखा ने सभी अपने अपने पेड़ों का जन्म दिन मनाने की अपील की है। समाजसेवियों इस कार्य की सरहाना की है।