प्रमुख संवाददाता/दीनार टाइम्स
कानपुर। आईएमए सीजीपी के 42वें रिफ्रेशर कोर्स के वैज्ञानिक सत्र के कार्डियो किडनी मेटाबोलिक विषय पर एसजीपीजीआई लखनउ के डॉ शिवेंद्र वर्मा ने कहा कि जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मधुमेह एक वैश्विक महामारी है, आज 10 में से 1 वयस्क मधुमेह से पीड़ित है और इसकी व्यापकता अगले दो दशकों में लगभग 50 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है। भारत में लगभग 11.4 प्रतिशत आबादी मधुमेह से पीड़ित है।
मधुमेह के प्रभाव-मधुमेह के इस भारी बोझ को अन्य सह-रुग्ण चयापचय स्थितियों और इससे उत्पन्न होने वाली जटिलताओं के कारण और भी जटिल बना दिया जाता है। मधुमेह से पीड़ित 90ः से अधिक लोग या तो मोटे हैं या अधिक वजन वाले हैं। मधुमेह से पीड़ित 3 में से 1 व्यक्ति को स्थापित हृदय रोग है। लगभग 40ः मधुमेह पीड़ित लोगों को किडनी रोग है। लगभग 65ः मधुमेह पीड़ित लोगों को मेटाबोलिक डिसफंक्शन एसोसिएटेड लिवर रोग है।
मधुमेह के उपचार में प्रगति- मधुमेह के उपचार में पहले मुख्य ध्यान रक्त शर्करा के स्तर को कम करने और भ्इ।1ब को कम करने पर था। बाद में 2009 में हाइपोग्लाइसीमिया और वजन बढ़ने को रोकने पर जोर दिया गया। आज उपचार दिशानिर्देशों में कार्डियो और रेनल सुरक्षात्मक दवाओं का चयन करने पर जोर दिया जाता है ताकि टाइप 2 मधुमेह में हृदय और गुर्दे की घटनाओं को कम किया जा सके। ळस्च्-1 त्।ै के साथ कार्डियो-रेनल-मेटाबोलिक स्थितियों का प्रबंधन करने के लिए प्रारंभिक शुरुआत करना महत्वपूर्ण है।
ओरल सेमाग्लूटाइड की मंजूरी- ओरल सेमाग्लूटाइड अब भारत में टाइप 2 मधुमेह के प्रबंधन के लिए पहले पंक्ति की चिकित्सा के रूप में आहार और व्यायाम के साथ उपयोग के लिए अनुमोदित है।