अंजनी निगम, डीटीएनएन
कानपुर , भाजपा के वरिष्ठतम नेता पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र ने महानगर के दौरे पर पहलगाम हमला, वक्फ संशोधन कानून और वन नेशन वन इलेक्शन के मामले में विस्तार से वार्ता कर तीनों ही मुद्दों पर बारीकी से बताया, पेश है हर प्रश्न और उसका उत्तर.
प्रश्न – पहलगाम में टूरिस्टों पर आतंकी हमले पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ?
उत्तर – आतंकवादियों ने पहलगाम में जो निर्दोष लोगों की हत्या की वह उनके कायरतापूर्ण व्यवहार का प्रदर्शित करता है. जिस ढंग से मजहब पूछ कर समाज में विभेद पैदा करने की कोशिश की वह इस साजिश को दर्शाता है कि हिन्दुस्तान के अंदर हिंदू मुसलमान का स्वरूप है उसमें आपस की कटुता बढ़े. इससे साफ पता लगता है कि इसके पीछे कुटिल साजिश है और कोई बड़ी ताकत लगी हुई है. जिस ढंग से पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने इस बात को स्वीकार किया है कि आतंकवादियों को बीते 75 वर्षों से पाकिस्थान प्रशिक्षण देता रहा है, उससे साफ जाहिर होता है कि यह घटना पाक द्वारा प्रायोजित थी और उसने हिंसात्मक घृणास्पद कार्य कराया है. यह बहुत ही शर्मनाक है, पाकिस्तान को लगने लगा है कि धारा 370 हटने के बाद कश्मीर में शांति का वातावरण पैदा हुआ है जिससे अधिकाधिक संख्या में लोग देश विदेश से कश्मीर में भ्रमण के लिए जा रहे हैं.
पाकिस्तान को लगा कि वहां की शांति भंग करने के लिए दूषित मानसिकता से प्रेरित होकर कुचक्र किया गया है जो खतरनाक है. मुझे लगता है कि इन लोगों दुष्कर्म के अनुरूप ही भारत सरकार कार्रवाई करेगा. ऐसी कार्रवाई की जाएगी जो इनकी कल्पना के परे होगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सार्वजनिक तौर पर ऐसा कहा भी है और सभी के संज्ञान में है कि पाकिस्तान को माकूल जवाब देने के लिए ही उन्होंने सेना के तीनों अंगों को खुली छूट दी है कि अपने आधार पर टारगेट, समय और रणनीति तय करें. इसे लेकर पाकिस्तान में बड़ी हलचल है जिससे लग रहा है कि अब भारत सरकार पाक प्रेरित आतंकवाद का समूल नाश करेगी.
प्रश्न – वक्फ संशोधन कानून को लेकर एक वर्ग विशेष काफी उत्तेजित है और धरना प्रदर्शन कर रहा है, इस पर क्या कहेंगे ?
उत्तर – वास्तव में यह मजहब का मामला नहीं है जो कुछ लोग बताने की कोशिश कर रहे हैं. वास्तव में यह संशोधन इसलिए लाया गया है ताकि सामान्य मुसलमानों को अधिक से अधिक फायदा हो. इसमें न तो किसी की जमीन हड़पी जाएगी और न ही मदरसा मस्जिद पर कब्जा किया जाएगा. कुछ लोग गुमराह करने की साजिश कर रहे हैं.
प्रश्न – वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे पर भाजपा देश भर में जागरूकता अभियान चला रही है, इसे किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर – वन नेशन वन इलेक्शन देश के हित में है, इसके लागू होने से देश के विकास की गति और तेज होगी. स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में जो चुनाव 1972 में प्रस्तावित थे, उन्हें एक साल पहले 1971 में ही करा दिया था जो ठीक नहीं था. बाद में 1983-84 में चुनाव आयोग ने भी लिखा था कि चुनाव अपनेनिर्धारित समय पर होने चाहिए. भाजपा ने 2014 और 2019 के अपने घोषणा पत्र में भी लिखा था कि वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार किया जाना चाहिए. इसके पीछे का मूल कारण यही है कि बार-बार चुनाव होने और आचार संहिता लगने से विकास कार्य अवरुद्ध होते हैं. अटल जी ने सबसे पहले 1984 में इस बात को रखा था कि वन नेशन वन इलेक्शन की बात आगे बढ़नी चाहिए. 1999 में नीति आयोग ने इस बारे में एक समिति जस्टिस रेड्डी की अध्यक्षता में बनायी थी जिसने पाया था कि वन नेशन वन इलेक्शन लागू होना चाहिए. समिति ने कहा कि था इससे भारत का विकास तेजी से होगा. इसीलिए भाजपा इस मामले में ज्यादा जोर दे रही है और मोदी जी के नेतृत्व में कमेटी बनी है जिसने सारी व्यवस्था दी है. कहा गया है कि यदि मध्यावधि की स्थिति बने तो उतने ही समय के लिए जितना समय बाकी है. लोकसभा में प्रस्ताव रखा गया है जिस पर चर्चा होगी.