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पंचायतों में अदृश्य फर्मों का कहर, सरकारी धन की लूट जारी

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पंचायतों में अदृश्य फर्मों का कहर, सरकारी धन की लूट जारी

कानपुर देहात में ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के नाम पर सरकारी धन की लूट जारी है। शासन के निर्देशों के बावजूद, पंचायतों में अदृश्य फर्मों के माध्यम से झाड़ी कटाई, सफाई और अन्य कार्यों में भुगतान करके करोड़ों रुपये का दुरुपयोग किया जा रहा है। इसके चलते महत्वपूर्ण विकास कार्य जैसे ओपन जिम, खेल मैदान और ग्रे वाटर मैनेजमेंट के काम अधूरे पड़े हैं।

अदृश्य फर्मों का खेल

शासन के निर्देशानुसार, ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता और जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत काम किए जाने की बात कही गई है। लेकिन हकीकत यह है कि पंचायतों में तैनात सचिव और अन्य जिम्मेदार अधिकारी अदृश्य फर्मों के माध्यम से धनराशि का दुरुपयोग कर रहे हैं। इन फर्मों के नाम पर झाड़ी कटाई, सफाई, नाला खुदाई और दवा छिड़काव जैसे कामों के लिए भुगतान किया जा रहा है, जबकि ये काम वास्तव में हो ही नहीं रहे हैं।

कैसे हो रही है लूट?

  • फर्जी भुगतान: झाड़ी कटाई और सफाई जैसे कामों के लिए अदृश्य फर्मों को भुगतान किया जा रहा है, जबकि ये काम ग्राम पंचायतों द्वारा मजदूरों के माध्यम से किए जाने चाहिए।
  • जेसीबी से नाला सफाई: जेसीबी मशीनों से नाला सफाई के नाम पर लाखों रुपये का भुगतान किया जा रहा है, लेकिन काम अधूरा है।
  • हस्ताक्षर के बिना भुगतान: कई मामलों में, जिनके खाते में धनराशि भेजी जाती है, उनके हस्ताक्षर तक नहीं होते। सचिव या ग्राम प्रधान अपने हस्ताक्षर करके धनराशि निर्गत कर देते हैं।

अधूरे विकास कार्य

इस भ्रष्टाचार के चलते ग्राम पंचायतों में महत्वपूर्ण विकास कार्य अधूरे पड़े हैं। ओपन जिम, खेल मैदान, ग्रे वाटर मैनेजमेंट और आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण जैसे काम पूरे नहीं हो पा रहे हैं। लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद, पंचायतों का स्वरूप नहीं बदल पा रहा है।

जिम्मेदार कौन?

पंचायत विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस घोटाले पर अंकुश लगाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। ग्राम पंचायतों के सचिव और ग्राम प्रधान मिलकर सरकारी धन का दुरुपयोग कर रहे हैं। इसके बावजूद, जिला प्रशासन और पंचायत विभाग के अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं।

निष्कर्ष

कानपुर देहात की ग्राम पंचायतों में अदृश्य फर्मों के माध्यम से सरकारी धन की लूट एक गंभीर समस्या है। इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। शासन को पंचायतों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है। साथ ही, ग्रामीणों को भी जागरूक होकर इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।